
बिपिन त्रिपाठी कुमाऊँ प्रौद्योगिकी संस्थान के मैस कर्मचारी दो वर्षा के उत्पीड़न के बाद सड़कों पर हैं। कुछ ही कर्मियों को बड़ी जद्दोजहत के बाद एक वर्ष का वेतन मिल पाया है। संस्थान में अलग-अलग संगठनों के माध्यम से कर्मचारियों की नियुक्तियां की गई है जिसकी वजह से कई अव्यवस्थाओं का सामना मैस कर्मचारियों को करना पड़ रहा है, जिनमे वेतन ना मिलना मुख्य है।
बिपिन त्रिपाठी कुमाऊँ प्रौद्योगिकी संस्थान - द्वाराहाट में लापरवाही का आलम इस प्रकार है कि, एक लम्बे समय से यहां पर डायरेक्टर नियुक्त नहीं है, और कार्यवाहक निदेशक द्वारा जिन लोगों को यहाँ पर नियुक्त किया गया है वे इतने गैर ज़िम्मेदार और लापरवाह हैं कि COVID -19 के दौर में 14 माह तक मैस कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया गया। इस संस्थान के उच्च पदों में बैठे लोग अपना TA, DA, बना कर के चैन कि नींद सोते रहे। इस दौरान मैस कर्मचारी अपने बच्चों कि फीस तक भरने में भी सक्षम नहीं थे, जबकि 20 वर्षों से अधिक समय उनको यहाँ पर काम करते हो गया है। इसके अलावा मैस वार्डन द्वारा दुर्व्यवहार जैसी कई शिकायतें भी हैं।
एक लम्बे संघर्ष के बाद कुछ ही कर्मचारियों को COVID - 19 के दौर का वेतन मिला जिसके लिए संस्थान के प्रशासन द्वारा छात्रों के ऊपर मैस कि फीस देने के लिए दबाव डाला गया जबकि छात्रों ने लगभग 2 वर्षों से हॉस्टल में खाना नहीं खाया है। कई छात्रों ने तमान मजबूरियों के बाद शुल्क जमा भी किया और तब जाकर कुछ मैस कर्मियों का वेतन दिया गया।
19 फ़रवरी, 2020 को तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा यह घोषणा की गई थी कि युवा कल्याण एवं प्रांतीय रक्षक दल के तहत नियुक्त सभी कर्मचारियों को न्यूनतम मानदेय 500 रुपये प्रतिदिन दिया जायेगा। इस व्यवस्था में टेक्निकल असिस्टेंट, लैब असिस्टेंट, टाइपिस्ट, प्लम्बर, इलेक्ट्रीशियन, अटेंडेंट, सफाई कर्मचारी, हॉर्टिकल्चर विभाग के गार्डनर, सिक्योरिटी अफसर, गनमैन और सिक्योरिटी गार्ड्स, वार्ड बॉय, फार्मासिस्ट आदि सभी कर्मचारी आते हैं।
इस व्यवस्था के तहत गोविंद बल्लभ पंत अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संस्थान - पौड़ी गढ़वाल के सभी कर्मचारियों को नियोजित कर दिया गया है। संस्थान में इस व्यवस्था के तहत अभी 213 कर्मचारी नियोजित हैं।
जिस प्रकार GBPIET में इस व्यवस्था को लागू किया गया है उसी प्रकार अन्य सभी तकनीकि संस्थानों में भी यही समान व्यवस्था लागू होनी चाहिए। तत्कालीन मुक्यमंत्री के पास ही तकनीकि शिक्षण विभाग है। पर शायद उनकी जानकारी में नहीं है कि GBPIET के अलावा प्रदेश में और भी प्रौद्योगिकी संस्थान है जहाँ पर इस व्यवस्था को लागू करवाया जाना चाहिए। जबकि एक लम्बे समय से सभी शिक्षण संसथान इस समान व्यवस्था कि मांग को उठा रहे हैं।
पिछले दिनों मुख्यमंत्री जी द्वारा कुछ outsourced कार्मिकों को उपनल के तहत समायोजित किया गया है, जो कि स्वागत योग्य है। अच्छा होता कि प्रदेश के मुखिया जिम्मेदारी पूर्वक फैसला लेते हुए, एक समान व्यवस्था लागू किए जाने हेतु सभी कर्मियों को उपनल या युवा कल्याण एवं प्रांतीय रक्षक दल में समायोजित कर लेते।
(बिपिन त्रिपाठी कुमाऊँ प्रौद्योगिकी संस्थान - द्वाराहाट के साथ-साथ नन्ही परी सीमान्त प्रौद्योगिकी संस्थान - पिथौरागढ़, डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम प्रद्योगिकी संस्थान - टनकपुर और गोविंद बल्लभ पंत अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संस्थान - पौड़ी गढ़वाल, इन सभी में लगभग पांच वर्षों से निदेशक की नियुक्ति नहीं की गई है, जिनमे प्रशाशक के रूप में जिलाधिकारी कार्यभार देख रहे हैं।)
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