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शेरदा अनपढ़ - को छै तू?


भुर भुर उज्याई जसी जाणि रत्तै ब्याण, भिकुवे सिकड़ी कसि ओढ़ी जै निसाण, खित्त कनैं हंसण और झऊ कनैं चाण, क्वाठन कुरकाती लगूं मुख क बुलाण, मिसिर है मिठि लागीं कार्तिकी मौ छै तू

पूषेकि पालङ जसी ओ खड़्यूणी को छै तू?

दै जसी गोरी उज्येइ

बिगोत जसि चिटि,

हिसाऊ किल्मोड़ी कसि

मणी खटी मिठी,

आँखे की तारी कसि

आँख में लै रीटी,

ऊ देई फुलदेई है जैं

जो देई तू हिटी,

हाथ पातै हरै जैंछे

के रुड़ीक द्यो छै तू


सुरबुरी बयाव जसी
ओ च्यापिणी को छै तू?


Sherda's handwritten draft of 'Ko Chhai Tu'

जांलै छै तू देखि छै

भांग फूल पात में,

और नौंणी जै बिलै रै छै

म्यार दिन रात में,

को फूल अंग्वाव हालूं

रंग जै सबु में छैं,

न तू क्वे न मैं क्वे

मैं तू में तू मैं में छै,

तारूं जै अन्वार हंसें

धार पर जो छै तू


ब्योली जै डोली भितेर
ओ रूपसी को छै तू?


उताके चौमास देखि छै

तू उतुके रयूड़,

स्यून की सांगई देखि छै

तू उतुके स्यून,

कभैं हर्याव चढ़ी

और कभैं पुजी च्यूड़,

गदुवे झाल भितेर तू

काकडी फुल्यूड़,

भ्यार बै अनारै दाणि

और भितेर पे स्यो छै तू


नौ रत्ती पौं जाणि
ओ दाबणी को छै तू?

ब्योज में क्वाथ में रेछै

और स्यूणा में सिराण,

म्येरै दगे भल लागैं

मन में दिशाण,

शरीर मातण में

त्वी छै तराण,

जाणि को जुग बटि

जुग-जुगे पछ्याण,

साँसों में कुत्कनै है

सामणी जै क्ये छै तू


मायादार माया जसी
ओ हंसिणी को छै तू?


 

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